Diwali 2024 Date: 81 वर्ष पहले से ही शताब्दी पंचांग में 1 नवंबर को दिवाली मनाने का उल्लेख
संस्कृत में ‘दीपावली’ शब्द का अर्थ है ‘रोशनी की पंक्ति’ या ‘दीयों की श्रृंखला’। भारत में दिवाली का त्यौहार कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। 81 वर्ष पहले से ही शताब्दी पंचांग में दिवाली का उल्लेख 1 नवंबर को किया गया है।
यह उत्सव भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। दीपावली भारतीयों द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
प्रमुख बिंदु
- दिवाली कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाया जाता है
- 81 वर्ष पहले से ही शताब्दी पंचांग में 1 नवंबर को दिवाली मनाने का उल्लेख
- दीपावली का अर्थ है ‘रोशनी की पंक्ति’ या ‘दीयों की श्रृंखला’
- दिवाली भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है
- दीपावली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है
दिवाली का इतिहास
दीपावली का उल्लेख भारत के प्राचीन काल से मिलता है। पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में इसका जिक्र है। ये पुराण पहली सहस्त्राब्दी के दूसरे भाग में लिखे गए थे।
उपनिषदों में भी नचिकेता की कथा के साथ दीपावली को जोड़ा गया है।
भारत में प्राचीन काल से दिवाली का आयोजन
दिवाली के बारे में कई रिसर्च और रिपोर्ट्स हैं। पूरे भारतवर्ष में यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।
यह त्यौहार भारत के अलावा दुनिया भर में भी मनाया जाता है। देश जैसे मॉरीशस, फिजी, सिंगापुर, मलेशिया, नीदरलैंड में लोग इसे मनाते हैं। लगभग 800 मिलियन से अधिक लोग इस त्यौहार को मनाते हैं।
दिवाली का उल्लेख पुराणों और उपनिषदों में
पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में दीपावली का जिक्र है। ये पुराण पहली सहस्त्राब्दी के दूसरे भाग में लिखे गए थे।
उपनिषदों में भी नचिकेता की कथा के साथ दीपावली को जोड़ा गया है।
रामायण से दिवाली का संबंध
रामायण के अनुसार, श्री राम के अयोध्या वापस आने पर लोगों ने दीपों से घरों और मार्गों को रोशन किया था।
दिवाली को ‘फेस्टिवल ऑफ़ लाइट्स’ के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है।
दिवाली का त्यौहार सिख और जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं।
दिवाली का महत्व
दीपावली भारत में एक बहुत बड़ा त्योहार है। यह त्योहार “तमसो मा ज्योतिर्गमय” अर्थात “अंधकार से प्रकाश की ओर जाओ” का प्रतीक है।
सामाजिक और धार्मिक महत्व
दिवाली के दौरान लोग घरों की सफाई करते हैं। वे रंगोली बनाते हैं, मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं और लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं।
यह त्योहार परिवार और मित्रों को एक साथ लाता है। यह सामाजिक एकता को मजबूत करता है। धार्मिक रूप से भी, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
दिवाली की तैयारियां और स्वच्छता
दिवाली के मौके पर लोग अपने घरों को सजाते हैं। वे रंगोली बनाते हैं, दीपक जलाते हैं और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं।
“दिवाली के दौरान लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए घरों की साफ-सफाई और सजावट करना एक महत्वपूर्ण परंपरा है।”
दिवाली के अवकाश और नव वर्ष आरंभ
दिवाली भारत में बहुत महत्वपूर्ण है। यह हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है। लोग इस दौरान अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं।
दिवाली 2024 को 1 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन वर्ल्ड वीगन डे भी मनाया जाता है। ऑल सेंट्स डे भारत में भी 1 नवंबर को मनाया जाता है।
आंध्र प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और पंजाब का स्थापना दिवस 1 नवंबर 2024 को है।
दिवाली उत्सव में दीपक जलाना, पूजा, हवन, व्रत, दान, मेला, घर की सजावट, आतिशबाजी, उपहार और मिठाइयों का आनंद लिया जाता है।
दिवाली 2024 में 30 अक्टूबर से शुरू होकर 3 नवंबर तक मनाई जाएगी। यह त्योहार हिंदुओं, जैनों, सिखों और कुछ बौद्धों द्वारा मनाया जाता है।
दिवाली का त्योहार हिंदू पंचांग के आश्विन और कार्तिक मासों में पड़ता है। इस दौरान कई महत्वपूर्ण दिवस होते हैं।
दिवाली का जश्न मनाने के तरीके क्षेत्रीय स्तर पर भिन्न हो सकते हैं।
“लगभग 800 मिलियन से अधिक लोग इस त्यौहार को मनाते हैं।”
दिवाली का त्यौहार किसानों के लिए भी विशेष महत्व रखता है। इस दौरान खरीफ की फसल पक जाती है। यह त्यौहार पूरे भारत में कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।
दिन | तिथि | उत्सव |
---|---|---|
30 अक्टूबर | धनतेरस | दिवाली उत्सव की शुरुआत |
31 अक्टूबर | नरक चतुर्दशी | रावण वध की स्मृति में |
1 नवंबर | लक्ष्मी पूजा | लक्ष्मी की पूजा और नए कपड़े पहनकर खरीदारी |
2 नवंबर | गोवर्धन पूजा | गोवर्धन पर्वत की पूजा |
3 नवंबर | भाई दूज | भाई-बहन के प्रेम का उत्सव |
दिवाली का त्यौहार हिंदुओं का नहीं ही मनाया जाता है। सिख और जैन धर्म के लोग भी इसे मनाते हैं। यह त्यौहार सदियों से मना रहा है और सदियों तक मनाया जाना जारी रहेगा।
दिवाली की मिठाइयां और परंपराएं
दिवाली को ‘मिठाइयों और रोशनी का त्योहार’ भी कहा जाता है। इस दिन, लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिठाइयां बांटते हैं। यह एक पारंपरिक रीति है जो दिवाली को विशेष बनाती है।
कहानियां, रंगोली और प्रकाश व्यवस्था
दिवाली के साथ कई पुरानी कहानियां जुड़ी हैं। सबसे प्रसिद्ध है रामायण की कथा। इस दिन, लोग अपने घरों और सड़कों पर रंगोली बनाते हैं।
इसके अलावा, दीपक और लाइट्स से घरों को सजाया जाता है। यह दिवाली की खुशियों को दर्शाता है।
दिवाली से जुड़ी परंपराएं | विवरण |
---|---|
मिठाइयों का आदान-प्रदान | परिवार और मित्र एक-दूसरे को मिठाइयों का भेंट देते हैं |
रंगोली | घरों और सड़कों पर सुंदर रंगोली बनाई जाती हैं |
प्रकाश व्यवस्था | घरों को दीपकों और लाइट्स से सजाया जाता है |
कहानियां | रामायण की कथा और अन्य प्राचीन कहानियां प्रचलित हैं |
इस प्रकार, दिवाली मिठाइयों, रंगोली, प्रकाश व्यवस्था और कहानियों के साथ मनाया जाने वाला एक समृद्ध और रंगीन त्योहार है। यह त्योहार पूरे भारत और दुनिया में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
दिवाली 2024 तारीख: 81 वर्ष पहले से ही शताब्दी पंचांग में 1 नवंबर को दिवाली मनाने का उल्लेख
दिवाली भारत में प्राचीन काल से मनाया जाता है। इसकी तारीख पर कभी-कभी भ्रम होता है। लेकिन शताब्दी पंचांग में 81 वर्ष पहले से 1 नवंबर को दिवाली मनाने का उल्लेख है।
यह बताता है कि दिवाली की तारीख पर कोई विवाद नहीं है। यह त्योहार प्राचीन काल से 1 नवंबर को ही मनाया जाता रहा है।
2024 में भी दिवाली 1 नवंबर को मनाई जाएगी। कुछ स्थानों पर 31 अक्टूबर को भी दिवाली मनाई जा सकती है। लेकिन शताब्दी पंचांग के अनुसार 1 नवंबर ही दिवाली है।
दिवाली के दिन लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है। रंगोली बनाई जाती है। मिठाइयों का आदान-प्रदान किया जाता है।
दीपक जलाए जाते हैं। यह त्योहार दीपों का त्योहार भी कहलाता है।
दिवाली उस दिन मनाई जाती है जब रामचंद्र जी अयोध्या लौटे थे। यह उनकी जीत और परम पिता की जीत है। – रामायण
दिवाली भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अभिन्न अंग है। यह देश की एकता और अखंडता को भी दर्शाता है।
दिवाली की आध्यात्मिक और धार्मिक महिमा
दीपावली का त्यौहार बहुत महत्वपूर्ण है। यह सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ आध्यात्मिक और धार्मिक भी है। यह त्यौहार ‘अंधकार पर प्रकाश की विजय’ का प्रतीक है।
यह हमें अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाता है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण
दीपावली में लोग देवी लक्ष्मी और बुद्धि के देवता गणेश की पूजा करते हैं। यह पूजा दौलत और समृद्धि की कामना करती है। साथ ही, यह ज्ञान और बुद्धि की भी कामना करती है।
दीपक जलाना इस उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। दीपक प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक है।
धार्मिक विचार और देवी लक्ष्मी की पूजा
दीपावली में लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। लक्ष्मी वैभव, समृद्धि और भाग्य की देवी हैं।
यह पूजा धन-संपदा की प्राप्ति के लिए नहीं है। यह आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। इस दौरान लोग अपने घरों को सजाते हैं।
वे मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं और एक-दूसरे को आशीर्वाद देते हैं।
“दीपावली का उत्सव आध्यात्मिक रूप से ‘अंधकार पर प्रकाश की विजय’ का प्रतीक है। यह हमें अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाता है।”
इस प्रकार, दीपावली का उत्सव बहुत महत्वपूर्ण है। यह सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ आध्यात्मिक और धार्मिक भी है। यह हमें अपने व्यक्तिगत और आध्यात्मिक विकास की ओर ले जाता है।
दिवाली उत्सव की विविधता
दिवाली भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न परंपराओं के साथ मनाया जाता है। हर हिस्से में यह त्यौहार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। यह भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता को दिखाता है।
पश्चिम बंगाल में काली पूजा
पश्चिम बंगाल में दिवाली को काली पूजा के रूप में मनाया जाता है। यहां देवी काली की पूजा की जाती है। उनके उपासकों द्वारा धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है।
दक्षिण भारत में गाय की पूजा
दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में दिवाली के दिन गाय की पूजा की जाती है। यह परंपरा गाय को पृथ्वी की माता मानने के कारण है।
उत्तर भारत में रामायण से जुड़ी कहानियां
उत्तर भारत में दिवाली रामायण से जुड़ी कहानियों के माध्यम से मनाई जाती है। लोग राम के अयोध्या लौटने और उनके राज्याभिषेक का जश्न मनाते हैं।
इस प्रकार दिवाली उत्सव भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। यह दिवाली परंपराएं की समृद्धि और भारतीय संस्कृति की विविधता को दिखाता है।
निष्कर्ष
दिवाली भारत का एक बहुत बड़ा त्योहार है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। यह लोगों को एकता, प्रेम और सामाजिक सौहार्द् का संदेश देता है।
दिवाली के दौरान, लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं। वे मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं, दिवाली निष्कर्ष रंगोली बनाते हैं और दीपक जलाते हैं।
दिवाली निष्कर्ष भारत की सांस्कृतिक विविधता को दिखाता है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश, अज्ञानता पर ज्ञान और निराशा पर आशा की जीत का प्रतीक है।
इस प्रकार, दिवाली निष्कर्ष में सकारात्मक मूल्य और सदभावना का संदेश है।
समग्र रूप से, दिवाली निष्कर्ष भारतीय संस्कृति की गहराई और समृद्धि को दर्शाता है। यह त्योहार भारत में नहीं ही मनाया जाता है, बल्कि दुनिया भर में भी।
दिवाली निष्कर्ष प्रकाश और सकारात्मकता का प्रतीक है। यह हर वर्ष नई उम्मीद और नया आगाज लाता है।
FAQ
क्या दिवाली का उल्लेख पहले से ही किया गया था?
हां, 81 वर्ष पहले से ही दिवाली का उल्लेख किया गया है। पंचांग में 1 नवंबर को मनाने का जिक्र है। यह बताता है कि दिवाली की तारीख पर कोई विवाद नहीं है।
यह त्योहार प्राचीन काल से 1 नवंबर को ही मनाया जाता है।
दीपावली शब्द का क्या अर्थ है?
संस्कृत में ‘दीपावली’ का अर्थ है ‘रोशनी की पंक्ति’ या ‘दीयों की श्रृंखला’। यह भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है।
दिवाली का उल्लेख पुराणों और उपनिषदों में कहाँ मिलता है?
दिवाली का उल्लेख प्राचीन काल से है। पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में इसका जिक्र है। ये उपनिषदों में नचिकेता की कथा के साथ जुड़े हुए हैं।
रामायण में दिवाली का क्या संबंध है?
रामायण के अनुसार, श्री राम के अयोध्या वापस आने पर लोगों ने दीपों से घरों और मार्गों को रोशन किया। तब से दीपावली मनाई जाती है।
दिवाली का क्या धार्मिक और सामाजिक महत्व है?
दिवाली भारत में बहुत महत्वपूर्ण है। यह ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात ‘अंधकार से प्रकाश की ओर जाओ’ का प्रतीक है।
दिवाली पर लोग क्या-क्या करते हैं?
दिवाली के दौरान लोग घरों की सफाई करते हैं। रंगोली बनाते हैं और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं।
लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं। नए कपड़े पहनते हैं और उपहार देते हैं।
दिवाली किस अवसर पर मनाई जाती है?
दिवाली हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है। इस दौरान छुट्टियां होती हैं।
दिवाली को किन नामों से जाना जाता है?
दिवाली को ‘मिठाइयों और रोशनी का त्योहार’ भी कहा जाता है। लोग एक-दूसरे को मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं।
घर-आंगन और सड़कों पर रंगोली बनाई जाती है।
दिवाली का क्या आध्यात्मिक महत्व है?
दीपावली ‘अंधकार पर प्रकाश की विजय’ का प्रतीक है। इस त्योहार में देवी लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है।
दिवाली उत्सव भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कैसे मनाया जाता है?
दिवाली विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है। पश्चिम बंगाल में काली पूजा के रूप में मनाई जाती है।
दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में गाय की पूजा की जाती है। दिवाली भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाती है।